ई-मित्र
संचालकों के लिए
फसल बीमा पोर्टल
के उपयोग हेतु मार्गदर्शिका
Øई मित्र सेवा सूची में से फसल बीमा की सेवा सर्च करने के लिये Crop या
Insurance
Ø अपने जिले से
सम्बन्धित फसल बीमा कम्पनी की सेवा (service)
का चयन करें।
जिलेवार बीमा कम्पनी व सेवा का विवरण निम्न प्रकार है-
जिले
|
क्रियान्वयन हेतु चयनित बीमा कम्पनी
|
चूरू, भीलवाडा, राजसमन्द, बूंदी,
सीकर,जैसलमेर, कोटा,
सिरोही
|
यूनाइटेड इन्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड
service name
United
India IC - Crop Insurance form filling
|
अलवर, डूंगरपुर, जोधपुर, बाड़मेर,
धौलपुर, हनुमानगढ, बांरा,
बीकानेर, चित्तौड़गढ, टोंक,
जयपुर, भरतपुर, दौसा,
पाली, प्रतापगढ़
|
एग्रीकल्चर इन्श्योरेन्स कम्पनी ऑफ इन्डिया लिमिटेड
service name
Agriculture
IC - Crop Insurance form filling
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बांसवाडा,झालावाड,नागौर,करौली,झुन्झूनू
|
चोला मण्डलम, एम.एस जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि
service name
Cholamanandalam MS GIC - Crop Insurance form filling
|
अजमेर, गंगानगर, जालौर, सवाईमाधोपुर,
उदयपुर
|
इफ्को-टोकियो जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी
service name
IFFCOTOKIO GIC - Crop Insurance form filling
|
New Form (नया फार्म ) पर क्लिक करें। इससे एप्लीकेशन फार्म पर Non- Loaned
Farmer अर्थात् गैर-ऋणी कृषक के लिये आवेदन पत्र दिखाई
देना।
स्टेप 1-
·
कृषक का बैंक विवरण बचत खाता संखया (Saving Bank Account Number ) दर्ज करें, ग्यारह अंकों का IFSC कोड दर्ज करें।
·
कृषक का प्रकार (खातेदार/बटाईदार) का चयन करें
बैंक अकाउण्ट की पास बुक का प्रथम पेज जिस पर कृषक का विवरण अंकित है उसे स्केन करके अपलोड करें। बटाईदार
है तो बटाईदार सर्टिफिकेट को स्केन करके अपलोड करना अनिवार्य है।
·
स्टेप 2- कृषक का विवरण
·
कृषक का भामाशाह नम्बर दर्ज करें।
·
भामाशाह नम्बर नहीं है तो BID वाले बॉक्स में
से ACKID चयन करके भामाशाह पंजीयन क्रमांक दर्ज करें।
·
भामाशाह के डेटा से अगर आधार नहीं आता है तो कृषक का आधार नम्बर दर्ज
करें। आधार नम्बर नहीं है तो UID वाले बॉक्स में से आधार पंजीयन (EID) का चयन कर, आधार पंजीयन नम्बर
दर्ज करें।
·
कृषक की श्रेणी General/ SC/ST/OBC/ चयन करें।
·
कृषक का मोबाइल नम्बर दर्ज करें।
कृषक
का स्वयं का लिंग Male/Female दर्ज करें। कृषक का पता दर्ज करें।
स्टेप 3-
·
खाता संखया 1 (कृषक के नाम जो जमीन है उसमें अंकित खाता संखया)
·
जिले का चयन करें, तहसील व गॉव का चयन करें
·
कृषक की जमाबंदी/राजस्व पासबुक में से खाता संखया दर्ज करें। रिकॉर्ड
में नई व पुरानी खाता संखया दोनों अंकित होने पर नई खाता संखया इस पोर्टल पर दर्ज
करनी है।
·
दर्ज किये गये खाते में अंकित क्षेत्रफल भरें।
·
खाते में अंकित अनुसार बीमा करवाने वाले कृषक का हिस्सा दर्ज करें।
उदाहरण के लिए एक बटा दो के लिए 1/2 तथा तीन बटा चार के लिए 3/4 दर्ज करें।
·
अब फसल का चयन करें।
·
चयनित फसल के बोए गए क्षेत्र को दर्ज करे
फसल का क्षेत्रफल हैक्टेयर में होगा
तो एक बॉक्स ही दिखाई देगा । फसल का क्षेत्रफल बीघा-बिस्वा में होने पर दो बॉक्स
दिखाई देंगे। उदाहरण के लिये 3 बीघा 5
बिस्वा जमीन होने पर पहले बॉक्स में 3
( बीघा) दूसरे में 5
(बिस्वा) अंकित करें।
प्रीमियम की प्रति हैक्टेयर दर, कुल प्रीमियम, प्रीमियम में कृषक का हिस्सा
·
(कृषक द्धारा देय प्रीमियम) आदि फसल के क्षेत्रफल के
अनुसार अपने आप गणना होकर दिखाई देने लगेंगे।
·
अब इसी तरह Add
Another वाले बटन पर क्लिक करके उसी कृषक की उसी खाते में दूसरी फसल के बीमा हेतु
सूचनाएं दर्ज कर सकते हैं।
·
जमाबन्दी की नकल व गिरदावरी सर्टिफिकेट को स्कैन करके अपलोड करना
अनिवार्य है।
Add Khata पर क्लिक करके
इसी तरह उसी कृषक के दूसरे खाते में उगाई गई फसलों के विवरण अनुसार बीमा के लिए सूचना दर्ज कर सकते हैं।
7 हैक्टेयर फसल के बीमा तक
प्रीमियम की गणना अनुदानित दर पर होगी। कृषक यदि 7 हैक्टेयर
से अधिक क्षेत्र का बीमा करवाता है तो
बाकी
क्षेत्रफल के प्रीमियम की गणना पूरी दर पर की जाएगी।
स्टेप चार
· अब कृषक का गॉव, खाता संखया, फसल, अनुदानित प्रीमियम के तहत क्षेत्रफल, गैर
अनुदानित प्रीमियम के तहत क्षेत्रफल (यदि हो तो) प्रीमियम दर, कुल प्रीमियम व कृषक द्धारा देय प्रीमियम (फार्मर शेयर) आदि का विवरण
स्वतः स्क्रीन पर आ जाएगा।
· अब PREVIEW पर क्लिक करने पर पूरा फॉर्म वापिस दिखेगा, साथ में EDIT का बटन भी दिखेगा। यदि कोई सूचना EDIT करनी हो तो कर
सकते हैं अन्यथा SUBMIT बटन पर क्लिक करते ही बीमा की पॉलिसी सिस्टम में दर्ज हो जाएगी।
DISCARD बटन का उपयोग केवल तब ही करें जब पूरा फॉर्म RESET
करके वापिस भरना हो।
नोटः- ई-मित्र द्वारा फसल बीमा हेतु कृषक का आवेदन निःशुल्क दर्ज किया
जायेगा अर्थात् कृषक से फसल बीमा का आवेदन दर्ज करने के बाबत कोई राद्गिा वसूल
नहीं की जायेगी। केवल निर्धारित प्रीमियम कृषक से लिया जायेगा। वसूल की गई
प्रीमियम की राद्गिा की रसीद कृषक को अनिवार्य रूप से दी जाए।
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